बोधिचर्यावतारः — 4.26
Original
Segmented
कथंचिद् अपि सम्प्राप्तो हित-भूमिम् सु दुर्लभाम् जानन्न् अपि च नीये ऽहम् तान् एव नरकान् पुनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कथंचिद् | कथंचिद् | pos=i |
| अपि | अपि | pos=i |
| सम्प्राप्तो | सम्प्राप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| हित | हित | pos=a,comp=y |
| भूमिम् | भूमि | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| सु | सु | pos=i |
| दुर्लभाम् | दुर्लभ | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| जानन्न् | ज्ञा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| अपि | अपि | pos=i |
| च | च | pos=i |
| नीये | नी | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| ऽहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| तान् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| एव | एव | pos=i |
| नरकान् | नरक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पुनः | पुनर् | pos=i |