बोधिचर्यावतारः — 6.62
Original
Segmented
अवर्ण-वादिनि द्वेषः सत्त्वान् नाशयति इति चेत् पर-अयशस्करे अपि एवम् कोपः ते किम् न जायते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| अवर्ण | अवर्ण | pos=n,comp=y |
| वादिनि | वादिन् | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| द्वेषः | द्वेष | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| सत्त्वान् | सत्त्व | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| नाशयति | नाशय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| इति | इति | pos=i |
| चेत् | चेद् | pos=i |
| पर | पर | pos=n,comp=y |
| अयशस्करे | अयशस्कर | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| कोपः | कोप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| जायते | जन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |