किरातार्जुनीयम् — 18.47
Original
Segmented
असंहार्य-उत्साहम् जयिनम् उदयम् प्राप्य तरसा धुरम् गुर्वीम् वोढुम् स्थितम् अन् अवसादाय जगतः स्व-धाम्ना लोकानाम् तम् उपरि कृत-स्थानम् अमरास् तपः-लक्ष्म्या दीप्तम् दिनकृतम् इव उच्चैस् उपजगुः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| असंहार्य | असंहार्य | pos=a,comp=y |
| उत्साहम् | उत्साह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| जयिनम् | जयिन् | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| उदयम् | उदय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
| तरसा | तरस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| धुरम् | धुर् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| गुर्वीम् | गुरु | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| वोढुम् | वह् | pos=vi |
| स्थितम् | स्था | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
| अन् | अन् | pos=i |
| अवसादाय | अवसाद | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| जगतः | जगन्त् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| स्व | स्व | pos=a,comp=y |
| धाम्ना | धामन् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| उपरि | उपरि | pos=i |
| कृत | कृ | pos=va,comp=y,f=part |
| स्थानम् | स्थान | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अमरास् | अमर | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तपः | तपस् | pos=n,comp=y |
| लक्ष्म्या | लक्ष्मी | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| दीप्तम् | दीप् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
| दिनकृतम् | दिनकृत् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| उच्चैस् | उच्चैस् | pos=i |
| उपजगुः | उपगा | pos=v,p=3,n=p,l=lit |