किरातार्जुनीयम् — 3.38
Original
Segmented
धैर्य-अवसादेन हृत-प्रसादा वन्य-द्विपेन इव निदाघ-सिन्धुः निरुद्ध-बाष्प-उदय-सन्नकण्ठम् उवाच कृच्छ्राद् इति राज-पुत्री
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धैर्य | धैर्य | pos=n,comp=y |
| अवसादेन | अवसाद | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| हृत | हृ | pos=va,comp=y,f=part |
| प्रसादा | प्रसाद | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| वन्य | वन्य | pos=a,comp=y |
| द्विपेन | द्विप | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| निदाघ | निदाघ | pos=n,comp=y |
| सिन्धुः | सिन्धु | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| निरुद्ध | निरुध् | pos=va,comp=y,f=part |
| बाष्प | बाष्प | pos=n,comp=y |
| उदय | उदय | pos=n,comp=y |
| सन्नकण्ठम् | सन्नकण्ठ | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| कृच्छ्राद् | कृच्छ्र | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| राज | राजन् | pos=n,comp=y |
| पुत्री | पुत्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |