महाभारतम् — 1.1.103
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् द्वारकायाम् सुभद्राम् प्रसह्य ऊढाम् माधवीम् अर्जुनेन इन्द्रप्रस्थम् वृष्णि-वीरौ च यातौ तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यदा | यदा | pos=i |
| अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
| द्वारकायाम् | द्वारका | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| सुभद्राम् | सुभद्रा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| प्रसह्य | प्रसह् | pos=vi |
| ऊढाम् | वह् | pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part |
| माधवीम् | माधवी | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| अर्जुनेन | अर्जुन | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| इन्द्रप्रस्थम् | इन्द्रप्रस्थ | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| वृष्णि | वृष्णि | pos=n,comp=y |
| वीरौ | वीर | pos=n,g=m,c=1,n=d |
| च | च | pos=i |
| यातौ | या | pos=va,g=m,c=1,n=d,f=part |
| तदा | तदा | pos=i |
| न | न | pos=i |
| आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |