महाभारतम् — 1.1.147
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् द्रोणपुत्रम् कृपम् च दुःशासनम् कृतवर्माणम् उग्रम् युधिष्ठिरम् शून्यम् अधर्षयन् तम् तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यदा | यदा | pos=i |
| अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
| द्रोणपुत्रम् | द्रोणपुत्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| कृपम् | कृप | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| दुःशासनम् | दुःशासन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| कृतवर्माणम् | कृतवर्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| उग्रम् | उग्र | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| युधिष्ठिरम् | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| शून्यम् | शून्य | pos=a,g=m,c=2,n=s |
| अधर्षयन् | धर्षय् | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
| तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |
| न | न | pos=i |
| आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |