महाभारतम् — 1.1.155
Original
Segmented
यदा अश्रौषम् ब्रह्मशिरो ऽर्जुनेन मुक्तम् स्वस्ति इति अस्त्रम् अस्त्रेण शान्तम् अश्वत्थाम्ना मणि-रत्नम् च दत्तम् तदा न आशंसे विजयाय संजय
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यदा | यदा | pos=i |
| अश्रौषम् | श्रु | pos=v,p=1,n=s,l=lun |
| ब्रह्मशिरो | ब्रह्मशिरस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| ऽर्जुनेन | अर्जुन | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| मुक्तम् | मुच् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| स्वस्ति | स्वस्ति | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| अस्त्रम् | अस्त्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अस्त्रेण | अस्त्र | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| शान्तम् | शम् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| अश्वत्थाम्ना | अश्वत्थामन् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| मणि | मणि | pos=n,comp=y |
| रत्नम् | रत्न | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| दत्तम् | दा | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| तदा | तदा | pos=i |
| न | न | pos=i |
| आशंसे | आशंस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| विजयाय | विजय | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| संजय | संजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |