महाभारतम् — 1.115.27
Original
Segmented
विवृध् ते तत्र पुण्ये हैमवते गिरौ विस्मयम् जनयामासुः महा-ऋषीणाम् समेयुषाम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विवृध् | विवृध् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| ते | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| पुण्ये | पुण्य | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| हैमवते | हैमवत | pos=a,g=m,c=7,n=s |
| गिरौ | गिरि | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| विस्मयम् | विस्मय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| जनयामासुः | जनय् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| ऋषीणाम् | ऋषि | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| समेयुषाम् | समे | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |