महाभारतम् — 1.33.3
Original
Segmented
वासुकिः उवाच अयम् शापो यथा उद्दिष्टः विदितम् वः तथा अनघाः तस्य शापस्य मोक्ष-अर्थम् मन्त्रयित्वा यतामहे
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वासुकिः | वासुकि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| अयम् | इदम् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| शापो | शाप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| यथा | यथा | pos=i |
| उद्दिष्टः | उद्दिश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| विदितम् | विद् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| वः | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
| तथा | तथा | pos=i |
| अनघाः | अनघ | pos=a,g=m,c=8,n=p |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| शापस्य | शाप | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| मोक्ष | मोक्ष | pos=n,comp=y |
| अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| मन्त्रयित्वा | मन्त्रय् | pos=vi |
| यतामहे | यत् | pos=v,p=1,n=p,l=lat |