महाभारतम् — 1.79.18
Original
Segmented
ययातिः उवाच यत् त्वम् मे हृदयात् जातः वयः स्वम् न प्रयच्छसि तस्माद् द्रुह्यो प्रियः कामो न ते सम्पत्स्यते क्वचित्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ययातिः | ययाति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| यत् | यत् | pos=i |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| हृदयात् | हृदय | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| जातः | जन् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| वयः | वयस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| स्वम् | स्व | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| न | न | pos=i |
| प्रयच्छसि | प्रयम् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| तस्माद् | तद् | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| द्रुह्यो | द्रुह्यु | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| प्रियः | प्रिय | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| कामो | काम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
| सम्पत्स्यते | सम्पद् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
| क्वचित् | क्वचिद् | pos=i |