महाभारतम् — 1.86.3
Original
Segmented
धर्म-आगतम् प्राप्य धनम् यजेत दद्यात् सदा एव अतिथीन् भोजयेत् च अनाददानः च परैः अदत्तम् सा एषा गृहस्थ-उपनिषद् पुराणी
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
| आगतम् | आगम् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
| प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
| धनम् | धन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| यजेत | यज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| दद्यात् | दा | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| सदा | सदा | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| अतिथीन् | अतिथि | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| भोजयेत् | भोजय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| च | च | pos=i |
| अनाददानः | अनाददान | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| च | च | pos=i |
| परैः | पर | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| अदत्तम् | अदत्त | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| एषा | एतद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| गृहस्थ | गृहस्थ | pos=n,comp=y |
| उपनिषद् | उपनिषद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| पुराणी | पुराण | pos=a,g=f,c=1,n=s |