महाभारतम् — 10.5.15
Original
Segmented
असंभावित-रूपम् हि त्वयि कर्म विगर्हितम् शुक्ले रक्तम् इव न्यस्तम् भवेद् इति मतिः मम
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| असंभावित | असंभावित | pos=a,comp=y |
| रूपम् | रूप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| हि | हि | pos=i |
| त्वयि | त्वद् | pos=n,g=,c=7,n=s |
| कर्म | कर्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| विगर्हितम् | विगर्ह् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| शुक्ले | शुक्ल | pos=a,g=n,c=7,n=s |
| रक्तम् | रक्त | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| न्यस्तम् | न्यस् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| इति | इति | pos=i |
| मतिः | मति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |