महाभारतम् — 10.8.102
Original
Segmented
न अमुच्यत तयोः कश्चिद् निष्क्रान्तः शिबिराद् बहिः कृपस्य च महा-राज हार्दिक्यस्य च दुर्मतेः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| न | न | pos=i |
| अमुच्यत | मुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| तयोः | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=d |
| कश्चिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| निष्क्रान्तः | निष्क्रम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| शिबिराद् | शिबिर | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| बहिः | बहिस् | pos=i |
| कृपस्य | कृप | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| राज | राज | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| हार्दिक्यस्य | हार्दिक्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| दुर्मतेः | दुर्मति | pos=a,g=m,c=6,n=s |