महाभारतम् — 12.103.1
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच जैत्र्या वा कानि रूपाणि भवन्ति पुरुष-ऋषभ पृतनायाः प्रशस्तानि तानि इह इच्छामि वेदितुम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| जैत्र्या | जैत्र | pos=a,g=f,c=6,n=s |
| वा | वा | pos=i |
| कानि | क | pos=n,g=n,c=1,n=p |
| रूपाणि | रूप | pos=n,g=n,c=1,n=p |
| भवन्ति | भू | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| पुरुष | पुरुष | pos=n,comp=y |
| ऋषभ | ऋषभ | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| पृतनायाः | पृतना | pos=n,g=f,c=6,n=s |
| प्रशस्तानि | प्रशंस् | pos=va,g=n,c=1,n=p,f=part |
| तानि | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=p |
| इह | इह | pos=i |
| इच्छामि | इष् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| वेदितुम् | विद् | pos=vi |