महाभारतम् — 12.103.31
Original
Segmented
मन्यते कर्शयित्वा तु क्षमा साधु इति शम्बरः असंतप्तम् तु यद् दारु प्रत्येति प्रकृतिम् पुनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| मन्यते | मन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| कर्शयित्वा | कर्शय् | pos=vi |
| तु | तु | pos=i |
| क्षमा | क्षमा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| साधु | साधु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| शम्बरः | शम्बर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| असंतप्तम् | असंतप्त | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| दारु | दारु | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| प्रत्येति | प्रती | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| प्रकृतिम् | प्रकृति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| पुनः | पुनर् | pos=i |