महाभारतम् — 12.106.17
Original
Segmented
यज्ञ-दान-प्रशंसा अस्मै ब्राह्मणेषु अनुवर्ण्यताम् ते त्वद्-प्रियम् करिष्यन्ति तम् च इष्यन्ति वृका इव
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यज्ञ | यज्ञ | pos=n,comp=y |
| दान | दान | pos=n,comp=y |
| प्रशंसा | प्रशंसा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| अस्मै | इदम् | pos=n,g=m,c=4,n=s |
| ब्राह्मणेषु | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| अनुवर्ण्यताम् | अनुवर्णय् | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
| ते | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| त्वद् | त्वद् | pos=n,comp=y |
| प्रियम् | प्रिय | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| करिष्यन्ति | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lrt |
| तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| इष्यन्ति | इष् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| वृका | वृक | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| इव | इव | pos=i |