महाभारतम् — 12.128.15
Original
Segmented
यस्माद् धनस्य उपपत्तिः एकान्तेन न विद्यते तस्माद् आपदि अधर्मः ऽपि श्रूयते धर्म-लक्षणः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यस्माद् | यस्मात् | pos=i |
| धनस्य | धन | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| उपपत्तिः | उपपत्ति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| एकान्तेन | एकान्त | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| न | न | pos=i |
| विद्यते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| तस्माद् | तस्मात् | pos=i |
| आपदि | आपद् | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| अधर्मः | अधर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| श्रूयते | श्रु | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
| लक्षणः | लक्षण | pos=n,g=m,c=1,n=s |