महाभारतम् — 12.138.15
Original
Segmented
शत्रुम् च मित्र-रूपेण सान्त्वेन एव अभिसान्त्वयेत् नित्यशस् च उद्विजेत् तस्मात् सर्पाद् वेश्म-गतात् इव
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| शत्रुम् | शत्रु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| मित्र | मित्र | pos=n,comp=y |
| रूपेण | रूप | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| सान्त्वेन | सान्त्व | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| अभिसान्त्वयेत् | अभिसान्त्वय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| नित्यशस् | नित्यशस् | pos=i |
| च | च | pos=i |
| उद्विजेत् | उद्विज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| तस्मात् | तद् | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| सर्पाद् | सर्प | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| वेश्म | वेश्मन् | pos=n,comp=y |
| गतात् | गम् | pos=va,g=m,c=5,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |