महाभारतम् — 12.138.60
Original
Segmented
न असम्यक् कृत-कारी स्याद् अप्रमत्तः सदा भवेत् कण्टको ऽपि हि दुश्छिन्नो विकारम् कुरुते चिरम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| न | न | pos=i |
| असम्यक् | असम्यक् | pos=i |
| कृत | कृ | pos=va,comp=y,f=part |
| कारी | कारिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| स्याद् | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| अप्रमत्तः | अप्रमत्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| सदा | सदा | pos=i |
| भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| कण्टको | कण्टक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽपि | अपि | pos=i |
| हि | हि | pos=i |
| दुश्छिन्नो | दुश्छिन्न | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| विकारम् | विकार | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| कुरुते | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| चिरम् | चिरम् | pos=i |