महाभारतम् — 12.165.16
Original
Segmented
विशेषतः तु कार्त्तिक्याम् द्विजेभ्यः सम्प्रयच्छति शरद्-व्यपाये रत्नानि पौर्णमास्याम् इति श्रुतिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विशेषतः | विशेषतः | pos=i |
| तु | तु | pos=i |
| कार्त्तिक्याम् | कार्त्तिकी | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| द्विजेभ्यः | द्विज | pos=n,g=m,c=4,n=p |
| सम्प्रयच्छति | सम्प्रयम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| शरद् | शरद् | pos=n,comp=y |
| व्यपाये | व्यपाय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| रत्नानि | रत्न | pos=n,g=n,c=2,n=p |
| पौर्णमास्याम् | पौर्णमासी | pos=n,g=f,c=7,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| श्रुतिः | श्रुति | pos=n,g=f,c=1,n=s |