महाभारतम् — 12.167.6
Original
Segmented
ततो ऽभ्ययाद् देवराजो विरूपाक्ष-पुरम् तदा प्राह च इदम् विरूपाक्षम् दिष्ट्या अयम् जीवति इति उत
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ततो | ततस् | pos=i |
| ऽभ्ययाद् | अभिया | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| देवराजो | देवराज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| विरूपाक्ष | विरूपाक्ष | pos=n,comp=y |
| पुरम् | पुर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |
| प्राह | प्राह् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| च | च | pos=i |
| इदम् | इदम् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| विरूपाक्षम् | विरूपाक्ष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| दिष्ट्या | दिष्टि | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| अयम् | इदम् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| जीवति | जीव् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| इति | इति | pos=i |
| उत | उत | pos=i |