महाभारतम् — 12.184.9
Original
Segmented
गुरुम् यः तु समाराध्य द्विजो वेदम् अवाप्नुयात् भवति च अत्र श्लोकः तस्य स्वर्ग-फल-अवाप्तिः सिध्यते च अस्य मानसम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| गुरुम् | गुरु | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| समाराध्य | समाराधय् | pos=vi |
| द्विजो | द्विज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| वेदम् | वेद | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अवाप्नुयात् | अवाप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| च | च | pos=i |
| अत्र | अत्र | pos=i |
| श्लोकः | श्लोक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| स्वर्ग | स्वर्ग | pos=n,comp=y |
| फल | फल | pos=n,comp=y |
| अवाप्तिः | अवाप्ति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| सिध्यते | सिध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| च | च | pos=i |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| मानसम् | मानस | pos=a,g=n,c=1,n=s |