महाभारतम् — 12.207.1
Original
Segmented
गुरुः उवाच अत्र उपायम् प्रवक्ष्यामि यथावत् शास्त्र-चक्षुषा तद् विज्ञानात् चरन् प्राज्ञः प्राप्नुयात् परमाम् गतिम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| गुरुः | गुरु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| अत्र | अत्र | pos=i |
| उपायम् | उपाय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्रवक्ष्यामि | प्रवच् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
| यथावत् | यथावत् | pos=i |
| शास्त्र | शास्त्र | pos=n,comp=y |
| चक्षुषा | चक्षुस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| विज्ञानात् | विज्ञान | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| चरन् | चर् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| प्राज्ञः | प्राज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| प्राप्नुयात् | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| परमाम् | परम | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| गतिम् | गति | pos=n,g=f,c=2,n=s |