महाभारतम् — 12.211.47
Original
Segmented
भू-व्योम-तोय-अनल-वायवः हि सदा शरीरम् परिपालयन्ति इति इदम् आलक्ष्य कुतो रतिः भवेद् विनाशिनो ह्य् अस्य न शर्म विद्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| भू | भू | pos=n,comp=y |
| व्योम | व्योमन् | pos=n,comp=y |
| तोय | तोय | pos=n,comp=y |
| अनल | अनल | pos=n,comp=y |
| वायवः | वायु | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| हि | हि | pos=i |
| सदा | सदा | pos=i |
| शरीरम् | शरीर | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| परिपालयन्ति | परिपालय् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| इति | इति | pos=i |
| इदम् | इदम् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| आलक्ष्य | आलक्षय् | pos=vi |
| कुतो | कुतस् | pos=i |
| रतिः | रति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| विनाशिनो | विनाशिन् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| ह्य् | हि | pos=i |
| अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| न | न | pos=i |
| शर्म | शर्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| विद्यते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |