महाभारतम् — 12.221.28
Original
Segmented
श्रीः उवाच स्वधर्मम् अनुतिष्ठत्सु धैर्याद् अचलितेषु च स्वर्ग-मार्ग-अभिरामेषु सत्त्वेषु निरता हि अहम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| श्रीः | श्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| स्वधर्मम् | स्वधर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अनुतिष्ठत्सु | अनुष्ठा | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
| धैर्याद् | धैर्य | pos=n,g=n,c=5,n=s |
| अचलितेषु | अचलित | pos=a,g=m,c=7,n=p |
| च | च | pos=i |
| स्वर्ग | स्वर्ग | pos=n,comp=y |
| मार्ग | मार्ग | pos=n,comp=y |
| अभिरामेषु | अभिराम | pos=a,g=m,c=7,n=p |
| सत्त्वेषु | सत्त्व | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| निरता | निरम् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
| हि | हि | pos=i |
| अहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |