महाभारतम् — 12.232.4
Original
Segmented
योग-दोषान् समुच्छिद्य पञ्च यान् कवयो विदुः कामम् क्रोधम् च लोभम् च भयम् स्वप्नम् च पञ्चमम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| योग | योग | pos=n,comp=y |
| दोषान् | दोष | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| समुच्छिद्य | समुच्छिद् | pos=vi |
| पञ्च | पञ्चन् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| यान् | यद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| कवयो | कवि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| विदुः | विद् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
| कामम् | काम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| क्रोधम् | क्रोध | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| लोभम् | लोभ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| भयम् | भय | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| स्वप्नम् | स्वप्न | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| पञ्चमम् | पञ्चम | pos=a,g=m,c=2,n=s |