महाभारतम् — 12.239.15
Original
Segmented
चक्षुः आलोचनाय एव संशयम् कुरुते मनः बुद्धिः अध्यवसानाय साक्षी क्षेत्रज्ञ उच्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| चक्षुः | चक्षुस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| आलोचनाय | आलोचन | pos=n,g=n,c=4,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| संशयम् | संशय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| कुरुते | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| मनः | मनस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| बुद्धिः | बुद्धि | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| अध्यवसानाय | अध्यवसान | pos=n,g=n,c=4,n=s |
| साक्षी | साक्षिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| क्षेत्रज्ञ | क्षेत्रज्ञ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उच्यते | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |