महाभारतम् — 12.253.35
Original
Segmented
कदाचिद् दिवसान् पञ्च समुत्पत्य विहंगमाः षष्ठे ऽहनि समाजग्मुः न च अकम्पत जाजलिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कदाचिद् | कदाचिद् | pos=i |
| दिवसान् | दिवस | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पञ्च | पञ्चन् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| समुत्पत्य | समुत्पत् | pos=vi |
| विहंगमाः | विहंगम | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| षष्ठे | षष्ठ | pos=a,g=n,c=7,n=s |
| ऽहनि | अहर् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| समाजग्मुः | समागम् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
| न | न | pos=i |
| च | च | pos=i |
| अकम्पत | कम्प् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| जाजलिः | जाजलि | pos=n,g=m,c=1,n=s |