महाभारतम् — 12.253.37
Original
Segmented
कदाचिद् मास-मात्रेण समुत्पत्य विहंगमाः न एव आगच्छन् ततो राजन् प्रातिष्ठत स जाजलिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कदाचिद् | कदाचिद् | pos=i |
| मास | मास | pos=n,comp=y |
| मात्रेण | मात्र | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| समुत्पत्य | समुत्पत् | pos=vi |
| विहंगमाः | विहंगम | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| न | न | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| आगच्छन् | आगम् | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
| ततो | ततस् | pos=i |
| राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| प्रातिष्ठत | प्रस्था | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| जाजलिः | जाजलि | pos=n,g=m,c=1,n=s |