महाभारतम् — 12.260.18
Original
Segmented
स्यूमरश्मिः उवाच स्वर्ग-कामः यजेत इति सततम् श्रूयते श्रुतिः फलम् प्रकल्प्य पूर्वम् हि ततो यज्ञः प्रतायते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| स्यूमरश्मिः | स्यूमरश्मि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| स्वर्ग | स्वर्ग | pos=n,comp=y |
| कामः | काम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| यजेत | यज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| इति | इति | pos=i |
| सततम् | सततम् | pos=i |
| श्रूयते | श्रु | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| श्रुतिः | श्रुति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| प्रकल्प्य | प्रकल्पय् | pos=vi |
| पूर्वम् | पूर्वम् | pos=i |
| हि | हि | pos=i |
| ततो | ततस् | pos=i |
| यज्ञः | यज्ञ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रतायते | प्रतन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |