महाभारतम् — 12.302.1
Original
Segmented
याज्ञवल्क्य उवाच एते प्रधानस्य गुणाः त्रयः पुरुष-सत्तम कृत्स्नस्य च एव जगतः तिष्ठन्ति अनपगाः सदा
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| याज्ञवल्क्य | याज्ञवल्क्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| एते | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| प्रधानस्य | प्रधान | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| गुणाः | गुण | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| त्रयः | त्रि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| पुरुष | पुरुष | pos=n,comp=y |
| सत्तम | सत्तम | pos=a,g=m,c=8,n=s |
| कृत्स्नस्य | कृत्स्न | pos=a,g=n,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| जगतः | जगन्त् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| तिष्ठन्ति | स्था | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| अनपगाः | अनपग | pos=a,g=m,c=1,n=p |
| सदा | सदा | pos=i |