महाभारतम् — 12.316.31
Original
Segmented
महा-जाल-समाकृष्टान् स्थले मत्स्यान् इव उद्धृतान् स्नेह-जाल-समाकृष्टान् पश्य जन्तून् सु दुःखितान्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| महा | महत् | pos=a,comp=y |
| जाल | जाल | pos=n,comp=y |
| समाकृष्टान् | समाकृष् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
| स्थले | स्थल | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| मत्स्यान् | मत्स्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| इव | इव | pos=i |
| उद्धृतान् | उद्धृ | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
| स्नेह | स्नेह | pos=n,comp=y |
| जाल | जाल | pos=n,comp=y |
| समाकृष्टान् | समाकृष् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
| पश्य | पश् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| जन्तून् | जन्तु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| सु | सु | pos=i |
| दुःखितान् | दुःखित | pos=a,g=m,c=2,n=p |