महाभारतम् — 12.317.6
Original
Segmented
दोष-दर्शी भवेत् तत्र यत्र रागः प्रवर्तते अनिष्ट-वत् हितम् पश्येत् तथा क्षिप्रम् विरज्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| दोष | दोष | pos=n,comp=y |
| दर्शी | दर्शिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| तत्र | तत्र | pos=i |
| यत्र | यत्र | pos=i |
| रागः | राग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| प्रवर्तते | प्रवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| अनिष्ट | अनिष्ट | pos=a,comp=y |
| वत् | वत् | pos=i |
| हितम् | हित | pos=a,g=n,c=2,n=s |
| पश्येत् | पश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| तथा | तथा | pos=i |
| क्षिप्रम् | क्षिप्रम् | pos=i |
| विरज्यते | विरञ्ज् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |