महाभारतम् — 12.318.1
Original
Segmented
नारद उवाच सुख-दुःख-विपर्यासः यदा समुपपद्यते न एनम् प्रज्ञा सुनीतम् वा त्रायते न अपि पौरुषम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| नारद | नारद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| सुख | सुख | pos=n,comp=y |
| दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
| विपर्यासः | विपर्यास | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| यदा | यदा | pos=i |
| समुपपद्यते | समुपपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| न | न | pos=i |
| एनम् | एनद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्रज्ञा | प्रज्ञा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
| सुनीतम् | सुनीत | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| वा | वा | pos=i |
| त्रायते | त्रा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| न | न | pos=i |
| अपि | अपि | pos=i |
| पौरुषम् | पौरुष | pos=n,g=n,c=1,n=s |