महाभारतम् — 12.333.1
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच कस्यचित् तु अथ कालस्य नारदः परमेष्ठि-जः दैवम् कृत्वा यथान्यायम् पित्र्यम् चक्रे ततः परम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| कस्यचित् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| तु | तु | pos=i |
| अथ | अथ | pos=i |
| कालस्य | काल | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| नारदः | नारद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| परमेष्ठि | परमेष्ठिन् | pos=n,comp=y |
| जः | ज | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| दैवम् | दैव | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| कृत्वा | कृ | pos=vi |
| यथान्यायम् | यथान्यायम् | pos=i |
| पित्र्यम् | पित्र्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| चक्रे | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| ततः | ततस् | pos=i |
| परम् | परम् | pos=i |