महाभारतम् — 12.46.30
Original
Segmented
तव हि आद्यस्य देवस्य क्षरस्य एव अक्षरस्य च दर्शनम् तस्य लाभः स्यात् त्वम् हि ब्रह्म-मयः निधिः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| हि | हि | pos=i |
| आद्यस्य | आद्य | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| देवस्य | देव | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| क्षरस्य | क्षर | pos=a,g=n,c=6,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| अक्षरस्य | अक्षर | pos=a,g=n,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| दर्शनम् | दर्शन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| लाभः | लाभ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| स्यात् | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| हि | हि | pos=i |
| ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
| मयः | मय | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| निधिः | निधि | pos=n,g=m,c=1,n=s |