महाभारतम् — 12.76.1
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच यया वृत्त्या महीपालो विवर्धयति मानवान् पुण्यान् च लोकाञ् जयति तत् मे ब्रूहि पितामह
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| यया | यद् | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| वृत्त्या | वृत्ति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| महीपालो | महीपाल | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| विवर्धयति | विवर्धय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| मानवान् | मानव | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पुण्यान् | पुण्य | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| च | च | pos=i |
| लोकाञ् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| जयति | जि | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| ब्रूहि | ब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| पितामह | पितामह | pos=n,g=m,c=8,n=s |