महाभारतम् — 12.81.16
Original
Segmented
यः समृद्ध्या न तुष्येत क्षये दीनतरो भवेत् एतद् उत्तम-मित्रस्य निमित्तम् अभिचक्षते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| समृद्ध्या | समृद्धि | pos=n,g=f,c=3,n=s |
| न | न | pos=i |
| तुष्येत | तुष् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| क्षये | क्षय | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| दीनतरो | दीनतर | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| एतद् | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| उत्तम | उत्तम | pos=a,comp=y |
| मित्रस्य | मित्र | pos=n,g=n,c=6,n=s |
| निमित्तम् | निमित्त | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| अभिचक्षते | अभिचक्ष् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |