महाभारतम् — 12.92.39
Original
Segmented
ऋत्विज्-पुरोहित-आचार्यान् सत्कृत्य अनवमन्य च यदा सम्यक् प्रगृह्णाति स राज्ञो धर्म उच्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| ऋत्विज् | ऋत्विज् | pos=n,comp=y |
| पुरोहित | पुरोहित | pos=n,comp=y |
| आचार्यान् | आचार्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| सत्कृत्य | सत्कृ | pos=vi |
| अनवमन्य | अनवमन्य | pos=i |
| च | च | pos=i |
| यदा | यदा | pos=i |
| सम्यक् | सम्यक् | pos=i |
| प्रगृह्णाति | प्रग्रह् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| राज्ञो | राजन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| धर्म | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उच्यते | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |