महाभारतम् — 13.26.52
Original
Segmented
उज्जानक उपस्पृश्य आर्ष्टिषेणस्य च आश्रमे पिङ्गायाः च आश्रमे स्नात्वा सर्व-पापैः प्रमुच्यते
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| उज्जानक | उज्जानक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| उपस्पृश्य | उपस्पृश् | pos=vi |
| आर्ष्टिषेणस्य | आर्ष्टिषेण | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| आश्रमे | आश्रम | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| पिङ्गायाः | पिङ्गा | pos=n,g=f,c=6,n=s |
| च | च | pos=i |
| आश्रमे | आश्रम | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| स्नात्वा | स्ना | pos=vi |
| सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
| पापैः | पाप | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| प्रमुच्यते | प्रमुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |