महाभारतम् — 13.30.4
Original
Segmented
शक्र उवाच मतङ्ग ब्राह्मण-त्वम् ते संवृतम् परिपन्थिभिः पूजयन् सुखम् आप्नोति दुःखम् आप्नोति अ पूजय्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| शक्र | शक्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| मतङ्ग | मतंग | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| ब्राह्मण | ब्राह्मण | pos=n,comp=y |
| त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
| संवृतम् | संवृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| परिपन्थिभिः | परिपन्थिन् | pos=a,g=m,c=3,n=p |
| पूजयन् | पूजय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| आप्नोति | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| दुःखम् | दुःख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| आप्नोति | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| अ | अ | pos=i |
| पूजय् | पूजय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |