महाभारतम् — 13.32.25
Original
Segmented
तस्मात् त्वम् अपि वार्ष्णेय द्विजान् पूजय नित्यदा पूजिताः पूजन-अर्हाः हि सुखम् दास्यन्ति ते ऽनघ
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| अपि | अपि | pos=i |
| वार्ष्णेय | वार्ष्णेय | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| द्विजान् | द्विज | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| पूजय | पूजय् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| नित्यदा | नित्यदा | pos=i |
| पूजिताः | पूजय् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| पूजन | पूजन | pos=n,comp=y |
| अर्हाः | अर्ह | pos=a,g=m,c=1,n=p |
| हि | हि | pos=i |
| सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| दास्यन्ति | दा | pos=v,p=3,n=p,l=lrt |
| ते | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
| ऽनघ | अनघ | pos=a,g=m,c=8,n=s |