महाभारतम् — 13.60.16
Original
Segmented
एवम् पापैः विमुक्तः त्वम् पूतः स्वर्गम् अवाप्स्यसि स्रंसयित्वा पुनः कोशम् यद् राष्ट्रम् पालयिष्यसि
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| एवम् | एवम् | pos=i |
| पापैः | पाप | pos=n,g=n,c=3,n=p |
| विमुक्तः | विमुच् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
| पूतः | पू | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| अवाप्स्यसि | अवाप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
| स्रंसयित्वा | स्रंसय् | pos=vi |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| कोशम् | कोश | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| यद् | यत् | pos=i |
| राष्ट्रम् | राष्ट्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| पालयिष्यसि | पालय् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |