महाभारतम् — 13.77.18
Original
Segmented
गोमयेन सदा स्नायाद् गो करीषे च संविशेत् श्लेष्म-मूत्र-पुरीषाणि प्रतिघातम् च वर्जयेत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| गोमयेन | गोमय | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| सदा | सदा | pos=i |
| स्नायाद् | स्ना | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| गो | गो | pos=i |
| करीषे | करीष | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| च | च | pos=i |
| संविशेत् | संविश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| श्लेष्म | श्लेष्मन् | pos=n,comp=y |
| मूत्र | मूत्र | pos=n,comp=y |
| पुरीषाणि | पुरीष | pos=n,g=n,c=2,n=p |
| प्रतिघातम् | प्रतिघात | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| वर्जयेत् | वर्जय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |