महाभारतम् — 13.82.47
Original
Segmented
विद्या-अर्थी प्राप्नुयाद् विद्याम् सुख-अर्थी प्राप्नुयात् सुखम् न किंचिद् दुर्लभम् च एव गवाम् भक्तस्य भारत
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विद्या | विद्या | pos=n,comp=y |
| अर्थी | अर्थिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| प्राप्नुयाद् | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| विद्याम् | विद्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| सुख | सुख | pos=n,comp=y |
| अर्थी | अर्थिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| प्राप्नुयात् | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| सुखम् | सुख | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| न | न | pos=i |
| किंचिद् | कश्चित् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| दुर्लभम् | दुर्लभ | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| च | च | pos=i |
| एव | एव | pos=i |
| गवाम् | गो | pos=n,g=,c=6,n=p |
| भक्तस्य | भक्त | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| भारत | भारत | pos=n,g=m,c=8,n=s |