महाभारतम् — 13.83.18
Original
Segmented
साक्षात् न इह मनुष्यस्य पितरो ऽन्तर्हिताः क्वचित् गृह्णन्ति विहितम् तु एवम् पिण्डो देयः कुशेषु इति
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| साक्षात् | साक्षात् | pos=i |
| न | न | pos=i |
| इह | इह | pos=i |
| मनुष्यस्य | मनुष्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| पितरो | पितृ | pos=n,g=,c=1,n=p |
| ऽन्तर्हिताः | अन्तर्धा | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| क्वचित् | क्वचिद् | pos=i |
| गृह्णन्ति | ग्रह् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
| विहितम् | विधा | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
| तु | तु | pos=i |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| पिण्डो | पिण्ड | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| देयः | दा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
| कुशेषु | कुश | pos=n,g=m,c=7,n=p |
| इति | इति | pos=i |