महाभारतम् — 14.17.25
Original
Segmented
तेषु मर्मसु भिन्नेषु ततः स समुदीरयन् आविश्य हृदयम् जन्तोः सत्त्वम् च आशु रुणद्धि वै ततः स चेतनो जन्तुः न अभिजानाति किंचन
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| तेषु | तद् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
| मर्मसु | मर्मन् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
| भिन्नेषु | भिद् | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
| ततः | ततस् | pos=i |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| समुदीरयन् | समुदीरय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| आविश्य | आविश् | pos=vi |
| हृदयम् | हृदय | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| जन्तोः | जन्तु | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| सत्त्वम् | सत्त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| च | च | pos=i |
| आशु | आशु | pos=i |
| रुणद्धि | रुध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| वै | वै | pos=i |
| ततः | ततस् | pos=i |
| स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| चेतनो | चेतन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| जन्तुः | जन्तु | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| अभिजानाति | अभिज्ञा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| किंचन | कश्चन | pos=n,g=n,c=2,n=s |