महाभारतम् — 14.2.7
Original
Segmented
युक्तम् हि यशसा क्षत्रम् स्वर्गम् प्राप्तुम् असंशयम् न हि कश्चन शूराणाम् निहतो ऽत्र पराङ्मुखः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| युक्तम् | युज् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| हि | हि | pos=i |
| यशसा | यशस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| क्षत्रम् | क्षत्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| प्राप्तुम् | प्राप् | pos=vi |
| असंशयम् | असंशयम् | pos=i |
| न | न | pos=i |
| हि | हि | pos=i |
| कश्चन | कश्चन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| शूराणाम् | शूर | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| निहतो | निहन् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| ऽत्र | अत्र | pos=i |
| पराङ्मुखः | पराङ्मुख | pos=a,g=m,c=1,n=s |