महाभारतम् — 14.28.11
Original
Segmented
यतिः उवाच प्राणैः वियोगे छागस्य यदि श्रेयः प्रपश्यसि छाग-अर्थे वर्तते यज्ञो भवतः किम् प्रयोजनम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यतिः | यति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| प्राणैः | प्राण | pos=n,g=m,c=3,n=p |
| वियोगे | वियोग | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| छागस्य | छाग | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| यदि | यदि | pos=i |
| श्रेयः | श्रेयस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| प्रपश्यसि | प्रपश् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
| छाग | छाग | pos=n,comp=y |
| अर्थे | अर्थ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| वर्तते | वृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| यज्ञो | यज्ञ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| भवतः | भवत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
| किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| प्रयोजनम् | प्रयोजन | pos=n,g=n,c=1,n=s |