महाभारतम् — 14.46.17
Original
Segmented
गृहस्थो ब्रह्मचारी च वानप्रस्थो ऽथवा पुनः य इच्छेत् मोक्षम् आस्थातुम् उत्तमाम् वृत्तिम् आश्रयेत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| गृहस्थो | गृहस्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ब्रह्मचारी | ब्रह्मचारिन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| च | च | pos=i |
| वानप्रस्थो | वानप्रस्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽथवा | अथवा | pos=i |
| पुनः | पुनर् | pos=i |
| य | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| इच्छेत् | इष् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| मोक्षम् | मोक्ष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| आस्थातुम् | आस्था | pos=vi |
| उत्तमाम् | उत्तम | pos=a,g=f,c=2,n=s |
| वृत्तिम् | वृत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| आश्रयेत् | आश्रि | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |